Madhubala - The Matchless Beauty

Madhubala - The Matchless Beauty

Saturday, January 16, 2010

खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला की ‘जीवनी’ लोकार्पित



खूबसूरत अभिनेत्री मधुबाला की ‘जीवनी’ लोकार्पित
24 दिसंबर 2009
वार्ता
नई दिल्ली। ‘पूरब की वीनस’ कहलानेवाली अप्रतिम सौंदर्य की मल्लिका ने भारतीय सिनेमा जगत पर न केवल अपने सौंदर्य का, बल्कि अपने अभिनय का भी जादू डाल रखा है। लेकिन न तो उन्हें जीते जी और न ही उनकी मौत के बाद वह सम्मान दिया गया, जिसकी वे हकदार थीं।

यह उद्गार मधुबाला की जीवनी ‘मधुबाला- दर्द का सफर’ के लोकार्पण के मौके पर व्यक्त किया गया। पुस्तक की लेखिका सुशीला कुमारी ने कल देर शाम यहां फिल्म डिविजन के सभागार में आयोजित समारोह में कहा कि हालांकि मधुबाला को भारतीय सिनेमा का आइकन माना जाता है लेकिन मधुबाला को अपने जीवन में कोई पुरस्कार या सम्मान नहीं मिला। हालांकि भारतीय सिनेमा की सबसे उल्लेखनीय एवं महत्वपूर्ण फिल्म ‘मुगले आजम’ को मधुबाला के अविस्मरणीय अभिनय के लिए भी याद किया जाता है, लेकिन उस फिल्म के लिए भी मधुबाला को कोई सम्मान नहीं मिला।

इस मौके पर लोकसभा सांसद राशिद अल्वी, फिल्म प्रभाग के निदेशक एवं सुप्रसिद्ध वृत्तचित्र निर्माता कुलदीप सिंह, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक एवं फिल्म शोधकर्ता शरद दत्त, संगीत विशेषज्ञ डॉ. मुकेश गर्ग, बीते जमाने के मशहूर संगीत निर्देशक हुस्नलाल की सुपुत्री एवं गायिका प्रियम्बदा वरिष्ठ तथा सखा संगठन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह कोहली उपस्थित थे ।

श्री अल्वी ने मधुबाला की जीवनी को सामने लाने के प्रयास को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि राजनेताओं एवं शासकों की प्रसिद्धि का दौर बहुत छोटा होता है, लेकिन कलाकारों एवं कलमकारों की लोकप्रियता काल खंड से परे होता है। मधुबाला जैसे कलाकार पुरस्कारों से वंचित रहने के बाद भी सदियों तक लोगों के दिलों पर राज करते हैं।

भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार से सम्मानित लेखिका ने कहा कि मधुबाला की विस्मयकारी सुंदरता और उनकी बेइंतहा लोकप्रियता, उनके चेहरे से हरदम टपकती नटखट मुस्कराहट और शोखी को देखकर कोई भी सोच सकता है कि उनकी दुनिया बहुत खुबसूरत होगी। लेकिन सच्चाई यह है कि उनकी जिंदगी खुशियों और प्यार से कोसों दूर थी, जिन्हें पाने के लिए उन्होंने मरते दम तक कोशिश की। लेकिन उन्हें दुख, तन्हाई और तिरस्कार के सिवा कुछ नहीं मिला। मधुबाला का हमेशा हंसता हुआ चेहरा देखकर शायद ही किसी को आभास हो पाए कि इस हंसी के पीछे भयानक दर्द छिपा था।

श्रीमती वशिष्ठ ने कहा कि मधुबाला के समय की तुलना में आज का समाज बहुत बदल गया है, लेकिन आज भी मधुबाला की तरह बनना और दिखना ज्यादातर लड़कियों का सपना रहता है। अत्यंत निर्धन परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी मधुबाला ने लोकप्रियता का जो शिखर हासिल किया वह विलक्षण है। लेकिन इतना होने के बावजूद मधुबाला के जीवन के ज्यादातर पहलुओं से लोग अनजान हैं। लेकिन इस पुस्तक में मधुबाला से जुड़े अनजाने पहलुओं की जानकारी मिलेगी।

गौरतलब है कि ‘मुगले आजम’, ‘महल’, ‘हाफ टिकट’, ‘अमर’, ‘फागुन’, ‘चलती का नाम गाड़ी’ और ‘हावड़ा ब्रिज’ जैसी अनेक फिल्मों में अपने सौंदर्य और अभिनय का जलवा बिखेरनेवाली मधुबाला ने महज 36 साल की उम्र में ही दुनिया को अलवदिा कह दिया। मधुबाला बचपन से ही दिल में छेद की बीमारी से जूझती रहीं और इसी बीमारी के कारण अत्यंत कष्टप्रद स्थितियों में उनका निधन हो गया। हालांकि आज इस बीमारी का इलाज आसानी से होने लगा है। मधुबाला ने जीवन भर कष्टों एवं दर्द को सहते हुए जिस जिंदादिली के साथ वास्तविक जीवन एवं सिनेमा के जीवन को जिया वह बेमिसाल है।

यह समाचार टीवी 18 की वेबसाइट पर प्रकाशित हो चुका है। मूल पोस्‍ट देखने के लिये यहां क्लिक करें

No comments:

Post a Comment