Madhubala - The Matchless Beauty
Saturday, January 16, 2010
Recalling great singing legend - Mohammad Rafi
फिर बहुत याद आये मोहम्मद रफी
नयी दिल्ली, 23 दिसंबर। अमर गायक मोहम्मद रफी के गुजरे वर्षों बीत गये हैं लेकिन संगीत प्रेमियों के दिलों में उनकी यादें आज भी ताजी है। अपनी सुरीली आवाज के दम पर लाखों दिलों पर राज करने वाले मोहम्मद रफी को याद करने के लिये राजधानी के संगीत प्रेमी एवं रफी प्रेमी अपने प्रिय गायक के 85 वें जन्म दिन की पूर्व संध्या पर आज नयी दिल्ली के फिल्म डिविजन सभागार में जमा हुये।
सभागार में मोहम्मद रफी के जीवन के अनछुए पहलुओं को उजागर करने वाली 70 मिनट की एक लघु फिल्म रफी-तुम बहुत याद आये दिखायी गयी जिसका निर्माण फिल्म डिविजन ने किया है। इसका निर्देशन फिल्म डिविजन के प्रमुख श्री कुलदीप सिन्हा ने किया है।
इस मौके पर मोहम्मद रफी की समकालीन नायिका मधुबाला की जीवनी मधुबाला: दर्द का सफर का भी लोकार्पण किया गया जिसे प्रतिष्ठित भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार से सम्मानित लेखिका सुशीला कुमारी ने लिखा है। अप्रतिम सौंदर्य की मल्लिका और अपने समय की उत्कृष्ट अभिनेत्री मधुबाला की हिन्दी में यह पहली जीवनी है जिसे साची प्रकाशन से प्रकाशित किया गया है। इस जीवनी की लेखिका सुशीला कुमारी ने कहा कि आम तौर पर मधुबाला को उनके सौंदर्य एवं मोहक मुस्कान के लिये याद किया जाता है लेकिन उनका जीवन संघर्ष एवं दुखों से भरा हुआ था और तमाम दुखों को सहते हुये बिना चेहरे पर शिकन लाये उन्होंने कामयाबी के सफर को तय किया।
मोहम्मद रफी पर बनी फिल्म का निर्माण एवं निर्देशन करने वाले श्री कुलदीप सिन्हा ने कहा कि मोहम्मद रफी पर फिल्म का निर्माण उनके लिए वर्षो पुराने सपने का साकार होने जैसा है। उन्होंने 1980 में मोहम्मद रफी के निधन के समय से ही इस महान गायक पर फिल्म बनाने के बारे में सोचा था और इस संबंध में उन्होंने मशहूर संगीतकार नौशाद से बात भी की थी जिन्होंने इस फिल्म के निर्माण के लिये पूरा सहयोग देने का वायदा किया लेकिन कुछ कारणों से यह फिल्म पहले नहीं बन पायी। इस फिल्म में मोहम्मद रफी के जन्म से लेकर मृत्यु तक के विभिन्न पहलुओं, उनके संघर्षो, कामयाबियों, महत्वपूर्ण गीतों तथा उनके बारे में संगीत एवं फिल्म से जुड़ी विभिन्न हस्तियों के विचार आदि को शामिल किया गया है।
इस मौके पर मोहम्मद रफी की पहली जीवनी मेरी आवाज सुनो के लेखक विनोद विप्लव ने कहा कि आम तौर पर मोहम्मद रफी के योगदानों की सरकारी एवं गैर सरकारी स्तर पर उपेक्षा होती रही है। उनके योगदानों से अनभिज्ञ होने के कारण ज्यादातर लोग मोहम्मद रफी को एक बेहतरीन गायक या एक बेहतरीन इंसान के रूप में याद करते हैं जबकि वे इससे कहीं अधिक हैं - वे साम्प्रदायिक सद्भाव, धर्मनिरपेक्षता एवं राष्ट्रीय अखंडता के प्रतीक हैं और उन्हें इसी रूप में याद किया जाना चाहिये। श्री विनोद विप्लव ने कहा कि आज के सामाजिक, जातीय एवं धार्मिक संकीर्णताओं के इस दौर में वह इंसानियत, मानवीय मूल्यों, देशप्रेम, धर्मनिरपेक्षता एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के एक मजबूत प्रतीक हैं। आज भी उनके गाये गीत नैतिक, सामाजिक एवं भावनात्मक अवमूल्यन के आज के दौर में जनमानस को इंसानी रिश्तों, नैतिकता और इंसानियत के लिये प्रेरित कर रहे हैं।
इस मौके पर बीते दिनों के निर्देशक हुस्नलाल की विधवा निर्मला हुस्नलाल ने अपनी पुरानी स्मृतियों को याद किया।
इस मौके पर रफी स्मृति की ओर से मोहम्मद रफी के गीतों एवं जीवन के विभिन्न पहलुओं पर विचार गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। इस विचार गोश्ठी में दूरदर्शन के पूर्व निदेशक शरद दत्त, यादगार ए रफी तथा सखा फाउंडेशन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह कोहली, संगीत विषेशज्ञ डा. मुकेश गर्ग और गायिका प्रियम्बदा वषिश्ट समेत सिनेमा एवं संगीत के अनेक जानकारों ने मोहम्मद रफी के गायन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया।
विशेष जानकारी के लिये कृपया इन नम्बरों पर संपर्क करें
फोन - 9868793203/9868914801
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