दर्द से भरा था 'सौंदर्य की मल्लिका 'का जीवन
नई दिल्ली, एजेंसी
पूरब की वीनस कहलाने वाली सौंदर्य की मल्लिका ने भारतीय सिनेमा जगत पर न केवल अपने सौंदर्य का बल्कि अपने अभिनय की गहरी छाप छोड़ी। लेकिन न तो उन्हें जीते जी और न ही उनके निधन के बाद वह सम्मान दिया गया जिसकी वह हकदार थी। यह विचार मधुबाला की जीवनी 'मधुबाला-दर्द का सफर' के लोकार्पण के मौके पर व्यक्त किया गया।
पुस्तक की लेखिका सुशीला कुमारी ने बुधवार देर शाम फिल्म डिविजन के सभागार में आयोजित समारोह में कहा कि मधुबाला को भारतीय सिनेमा का आइकन माना जाता है। लेकिन मधुबाला को अपने जीवन में कोई पुरस्कार या सम्मान नहीं मिला।हालांकि भारतीय सिनेमा की सबसे महत्वपूर्ण फिल्म मुगले आजम को मधुबाला के अविस्मरणीय अभिनय के लिए भी याद किया जाता है। लेकिन उसे फिल्म के लिए भी मधुबाला को कोई सम्मान नहीं मिला।
लोकसभा सांसद राशिद अल्वी, फिल्म प्रभाग के निदेशक कुलदीप सिंह, दूरदर्शन के पूर्व निदेशक शरद दत्त, डा.मुकेश गर्ग, संगीत निर्देशक हुस्नलाल की सुपुत्री एवं गायिका प्रियम्बदा वशिष्ट और सखा संगठन के अध्यक्ष अमरजीत सिंह कोहली उपस्थित थे। अल्वी ने मधुबाला की जीवनी के सामने लाने के प्रयास को अत्यंत महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कलाकारों की लोकप्रियता काल खंड से परे होती है। मधुबाला जैसे कलाकार पुरस्कारों से वंचित रहने के बाद भी सदियों तक लोगों के दिलों पर राज करते हैं।
मधुबाला की विस्मयकारी सुंदरता और उनकी बेइंतहा लोकप्रियता, चेहरे से हरदम टपकती नटखट मुस्कान और शोखी को देखकर कोई भी सोच सकता है कि उनकी दुनिया बहुत खुबसूरत होगी। लेकिन उनकी जिंदगी खुशियों और प्यार से कोसों दूर थीं जिन्हें पाने के लिए उन्होंने मरते दम तक कोशिश की। लेकिन दुख, तन्हाई और तिरस्कार के सिवा कुछ नहीं मिला।
श्रीमती वशिष्ट ने कहा कि मधुबालाके समय की तुलना में आज का समाज बहुत बदल गया है। लेकिन आज भी मधुबाला की तरह बनना औरदिखना ज्यादातर लड़कियों का सपना रहता है। इस पुस्तक में मधुबाला के जीवन से जुड़े अनजाने पहलुओं की जानकारी मिलेगी।
गौरतलब है कि मुगले आजम, महल, हाफ टिकट, अमर, फागुन, चलती का नाम गाड़ी और हावड़ा ब्रिज जैसी अनेक फिल्मों में अपने सौंदर्य और अभिनय का जलवा बिखेरने वाली मधुबाला ने महज 36साल की उम्र में ही दुनिया को अलविदा कह दिया।
यह समाचार दैनिक हिन्दुस्तान में प्रकाशित हुआ है। मूल पोस्ट देखने के लिये यहां क्लिक करें।
Madhubala - The Matchless Beauty
Sunday, January 17, 2010
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